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  • श्री राँम चरित्र कथा
  • • श्री राँम नाम अभिप्राय व अवतरण-उद्देश्य 270
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  • • महाराज दशरथ व जनक के मध्य विदाई के समय परस्पर सम्बन्धी संवाद 274
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  • • भरत द्वारा श्री राँम-चरण-पादुकाओं को शिरोधार्य करना 279
  • • स्वरूपनखा का शूर्पणखा होना 279
  • • खर-दूषण का वध व शक्ति की शालीनता तथा न्यायोचित विश्लेषण के सूत्र को स्थापित करना 280
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  • • श्री हनुमान-मीमंासा 283
  • • श्री राँम द्वारा श्री हनुमान को कृतज्ञता-अर्पण व सूत्र की स्थापना 286
  • • रावण की नाभि का सूत्र व दशानन वृत्तियों का दमन 289
  • • श्री सीताजी महिमा-मीमंासा व राजमहल का त्याग 290
  • श्री समय-सतवाणी 293
  • • इतिहास के न्यायिक-विश्लेषण का सूत्र 293
  • • चर्म हेतु स्वर्ण-मृग की हत्या का तथ्यगत विश्लेषण 294
  • • श्री राँम द्वारा श्री सीताजी को राजमहल-त्याग के आदेश 294
  • • श्री हनुमान जी के पशु होने का खण्डन 295
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