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  • श्री प्राक्कथन 60
  • • ग्रंथ-प्रकाश प्राप्ति हेतु श्रीजी संदेश 63
  • • श्री समय-सतवाणी क्या है 64
  • • श्री सनातन सत्य धर्म की विशेषता 65
  • • श्री सनातन सत्य धर्म, समर्थ हिंदु विधान के अवतरण का उद्देश्य 67
  • ग्रंथ शुभारंभ 70
  • • वे कौनसी परिस्थितियाँ होती हैं, जिनके अन्तर्गत ईश्वर-प्रदत्त ग्रंथ का अवतरण होता है 71
  • • समय-बोध व गति का संयोजन व ग्रंथ-अवतरण में उसकी भूमिका 74
  • • नव-ग्रंथ अवतरण की परिस्थितियाँ 78
  • • ग्रंथ रचनाकार 80
  • • ऋषि द्वारा ग्रंथ में प्रयुक्त भाषा से सम्बन्धित निर्देश 82
  • • श्री सनातन सत्य धर्म नाम से अभिप्राय 82
  • • वो कौनसे लक्षण होते हैं, जिन्हें धारण करने के पश्चात ही कोई धारणा धर्म कहलाती है 83
  • • धर्म व शासन के मध्य सम्बन्धों की व्याख्या व ईश्वर के साम्राज्य, श्री सनातन साम्राज्यम् की पुनर्स्थापना का आदेश 84
  • • अव-तरण प्रक्रिया की व्याख्या 85
  • • महामानव व अवतरण प्रक्रिया में सम्मिलत भिन्न-भिन्न व्यक्तित्वों का परिचय 87
  • • ग्रंथ-वाचन से पूर्व की जाने वाली श्रंगार व आध्यात्मिक प्रक्रिया 90
  • • श्री देव वंदना, किसी भी शुभ कार्य को प्रारंभ करने से पूर्व की जाने वाली प्रार्थना 91
  • • श्री ईश्वर-प्रदत्त ग्रंथ के अवतरण की घोषणा व साक्षी 94
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